दरिंदों के मन में कानून और प्रशासन का भय क्यों नहींः चौ० ऋषिपाल


'काँठ केसरी'
  काँठ। भारतीय किसान यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष चैधरी )षिपाल सिंह ने हैदाराबाद में पशु चिकित्सक महिला के साथ हुई घटना पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण का राग अलापने वाले देश में महिलाऐं इतनी असुरक्षित क्यों हैं? हालांकि यह पहली घटना नहीं, बल्कि रोजाना इस तरह की घटनाऐं घटती हैं, लेकिन कानून का इस पर कोई खास असर नहीं है। 
 उन्होंने कहा कि 2016 का एक आंकड़ा यह भी बताता है कि प्रत्येक दिन दुष्कर्म के 106 मामले सामने आते हैं। 2012 के निर्भया मामले के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अब शायद ऐसे मामलों में कमी आएगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। जहां 2012 में दुष्कर्म के 24206 मामले सामने आए वहीं 2017 में लगभग 30 फीसद की वृ(ि के साथ इसकी संख्या 32559 तक पहुंच चुकी थी। गौरतलब है कि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले दरिंदों के मन में देश के कानून और प्रशासन का भय क्यों नहीं है? इसका सीधा कारण है हमारी न्याय व्यवस्था की शिथिलता। यह जानना आवश्यक है कि निर्भया मामले के सात साल हो गए, फिर भी उसके किसी दोषी को अभी तक सजा नहीं दी जा सकी है। 
 यह कानून की शिथिलता नहीं तो और क्या है? इसके कारण ही अपराधियों के मन से डर गायब हो चुका है। यदि त्वरित कार्यवाही हो तो शायद इस तरह की दुष्टता भरी हरकत को अंजाम देने से पहले अपराधी हजार बार सोचेगा। इस तरह देश की नारी शक्ति की मर्यादा को भंग होने से रोका जा सकेगा। 


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